अराकू घाटी आंध्र प्रदेश के उत्तर में विशाखापत्तनम से 115 किमी दूर स्थित है। यह समुद्र तल से 1000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और पूर्वी घाट की पहाड़ियों से घिरा हुआ है।

यह एक अछूती खूबसूरत जगह है और चारों तरफ पहाड़ियां और जंगल होने के कारण यहां का मौसम हमेशा ठंडा रहता है।

अगर आप मानसून में आने की सोच रहे हैं तो यहां आपको जबरदस्त हरियाली, झरने और सदाबहार जंगल वाली फीलिंग आएगी। 

अराकू घाटी में कॉफ़ी का उत्पादन बहुत होता है। आप यहां के कॉफी बागानों में घूमते हुए कॉफी के बारे में जानकारी भी ले सकते हैं और ताजी कॉफी का मजा भी ले सकते हैं।

यहां कुछ गार्डन भी बने हुए हैं, जिनमें पैदल घूमते हुए आप प्रकृति का आनंद ले सकते हैं। इनमें पदमपुरम गार्डन प्रमुख है। इसमें कुछ ट्री हाउस भी हैं, जिनमें आप ठहर भी सकते हैं।

अराकू घाटी अपने झरनों के लिए प्रसिद्ध है। मानसून के दौरान यहां के झरने पूरी तरह खिले रहते हैं। प्रमुख झरने कटिकी झरना, अनंतगिरि झरना और चपराई झरना हैं। अधिकांश झरनों तक सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है और वाहन से पहुंचा जा सकता है, लेकिन कुछ झरनों तक पहुंचने के लिए एक किलोमीटर या उससे अधिक पैदल चलना पड़ सकता है।

अरकू वैली का सबसे बड़ा आकर्षण बोर्रा केव हैं। इन्हें स्थानीय भाषा में बोर्रागुहालु भी कहते हैं। ये देश की सबसे बड़ी गुफाओं में से एक हैं। इनके अंदर जाने की और लाइटिंग व ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था है। इसके अंदर जाने पर ऐसा लगता है, जैसे हम किसी मायावी संसार में आ गए हों। गुफाएं लाइमस्टोन की बनी हैं और इनके ऊपर से गोस्थनी नदी बहती है। 

केके अर्थात कोत्तवलसा-किरंदुल रेलवे लाइन। 1960 के दशक में इस लाइन का निर्माण किया गया था। यह विशाखापटनम को छत्तीसगढ़ के बैलाडीला की लौह अयस्क खदानों से जोड़ती है। यह लाइन अरकू वैली से होकर गुजरती है, जो देश व दुनिया के सबसे खूबसूरत रेलमार्गों में से एक है। 

अरकू जाने के लिए सबसे पहले आपको पहुंचना होगा विशाखापटनम। यह पूरे देश से वायु, रेल व सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा है।