इस ऐतिहासिक मंदिर को अरावली की पहाड़ियों की ऊंचाइयों पर बनाया गया है। मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी में दीवान राव कृपाराम द्वारा करवाया गया था, जो कि राजपूत शासक सवाई जय सिंह के सलाहकार भी थे।
इस भव्य धार्मिक स्थान के अंदर भी कई अन्य मंदिर भी हैं, जिनमें मुख्य मंदिर हनुमान जी को समर्पित है। इसके अलावा यहां पर भगवान राम और कृष्ण को भी मंदिर देखने को मिलते हैं। इस मंदिर की बनावट जैसे किसी राज महल के तर्ज पर की गई हो।
जहां पर यह मंदिर बना हुआ है वहां का माहौल काफी हरा-भरा और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यहां पर कई खूबसूरत झरने और पहाड़ देखने को मिलते हैं।
यहां पर रहने वाले बंदर मंदिर के परिसर में ही घूमते रहते हैं, मगर वो कभी भी यात्रियों को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।