क्यों रहस्‍यमयी है अग्रसेन की बावली? जानें इतिहास और रोचक तथ्य

अग्रसेन की बावली में करीब 105 सीढ़ियां हैं और यह 14वीं शताब्दी में बनाई गई थी, चलिए जानते हैं इससे जुड़ा इतिहास-

घुमावदार सीढ़ियों के लिए पहचानी जाने वाली अग्रसेन की बावली, एक संरक्षित पुरातात्विक स्थल हैं, जो दिल्‍ली के कनॉट प्‍लेस में स्थि‍त है।  

इस बावली में करीब 105 सीढ़ियां हैं। इसका निर्माण 14वीं शताब्दी में महाराजा अग्रसेन ने कराया था। इस बावली का निर्माण लाल बलुए पत्थर से हुआ है। 

अनगढ़ तथा गढ़े हुए पत्थर से निर्मित यह दिल्ली की बेहतरीन बावलि‍यों में से एक है। जंतर मंतर के निकट, हेली रोड पर स्थित इस बावली में कभी दिल्ली के लोग तैराकी सीखने के लिए आते थे। 

कहा जाता है कि एक समय इसमें काला पानी हुआ करता था, जो लोगों को अपनी और लुभा कर आत्महत्या करने को प्रेरित करता था। हालांकि आज के समय में यह कुआं पूरी तरह से सुख गया है। 

ऐसा कहा जाता है कि अग्रसेन की बावली के कुएं के अंदर आत्मघाती काला पानी लोगों का दिमाग घुमा देता था और आत्महत्या करने के लिए भी ये काला पानी जाना जाता था।  

कहा जाता है कि कुएं में काला पानी था, जिससे रहस्यमय तरीके से लोगों की मौत हो गई। 

इन कहानियों में कितनी सच्चाई है यह तो हम नहीं जानते, लेकिन कुआं इन दिनों लगभग सूखा पड़ा है। इस कुएं के अंदर आत्महत्या की कोई सूचना नहीं मिली है। 

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