'गेटवे ऑफ इंडिया' को कहा जाता है मुंबई का ताजमहल , जानिए

इसका निर्माण अरब सागर के ओर समुद्र के किनारे अपोलो बंदरगाह क्षेत्र में 1911 में हुआ था. तब इंग्लैंड के राजा जॉर्ज पंचम और उनकी पत्नी मेर्री के भारत आगमन पर थे.

आठ मंजिल की ऊंचाई वाला गेटवे ऑफ इंडिया इंडो सारसेनिक वास्तुकला का एक उदाहरण है। जहां शानदार मेहराबों पर मुस्लिम स्थापत्य शैली का प्रभाव है, वहीं सजावट हिंदू शैली को दर्शाती है। स्मारक का निर्माण पीले बेसाल्ट और प्रबलित कंक्रीट के संयोजन का उपयोग करके किया गया है।

यह अरब सागर और ताज होटल के शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है जो पास में ही स्थित हैं. वर्तमान में, स्मारक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के कंट्रोल में है.  

गेटवे के भव्य मेहराब की ऊंचाई 85 फीट है जबकि केंद्रीय गुंबद की ऊंचाई 83 फीट और व्यास 48 फीट है. गेटवे के मेहराब के दोनों ओर बड़े-बड़े हॉल हैं जिनमें एक बार में 600 लोग आसानी से बैठ सकते हैं.

गेटवे ऑफ इंडिया के निर्माण में कुल 21 लाख रूपये का खर्च आया था और संपूर्ण खर्च भारत सरकार द्वारा उठाया गया था।

आगरा में स्थित ताज महल को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इसी तरह गेटवे ऑफ इंडिया को मुंबई का ताज महल कहा जाता है। यह भले ही प्रेम के प्रतीक के रूप में प्रसिद्ध न हो, लेकिन इसकी डिजाइन और संरचना इसे ताज महल के समान बनाती है। यही कारण है कि लोग इसे मुंबई का ताज महल कहते हैं।

आपको बता दें कि गेटवे ऑफ इंडिया भी भारत के सबसे प्रसिद्ध स्थल में से एक है। लोग दूर-दूर से इसकी खूबसूरती देखने आते हैं। 

यह मुंबई के कोलाबा में स्थित है। दूर-दूर से लोग गेटवे ऑफ इंडिया को देखने आते हैं। यही कारण हैं कि यहां हजारों की संख्या में पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है। 

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