भगवान राम ने ब्राह्मण हत्या के दोष से मुक्ति पाने के लिए यहां शिवलिंग की स्थापना कर उसकी पूजा की थी, इसलिए माना जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग की विधि-विधान से पूजा करने से ब्रम्ह हत्या जैसे पापों से मुक्ति मिलती है. जो व्यक्ति यहां स्थित भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग पर पूरी श्रद्धा से गंगाजल चढ़ाता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है.

रामेश्वरम में प्रचलित किवदंतियों की मानें तो इस मंदिर के अंदर सभी कुएं भगवान राम ने अपने बाणों से बनाए थे. ऐसा माना जाता है कि इनमें कई तीर्थ स्थलों का जल मिलाया गया था.

रामेश्वरम मंदिर लगभग 1000 फुट लंबा और 650 फुट चौड़ा है. इस मंदिर में 40 फुट ऊंचे दो पत्थर इतनी बराबरी के साथ लगाए गए हैं कि इनको देखकर आश्चर्य होना स्वभाविक है. मान्यताओं के अनुसार, रामेश्वर मंदिर निर्माण में लगाए हुए पत्थरों को श्रीलंका से नावों के जरिए लाया गया था.

मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम ने लंका विजय की कामना से लंका जाने से पहले भगवान शिव की पूजा करना चाहते थे. तब उन्होंने इस जगह पर महादेव के शिवलिंग की स्थापना कर इसकी पूजा अर्चना की थी.

Fill in रामेश्वरम मंदिर का गलियारा विश्व का सबसे लंबा गलियारा है. यह उत्तर से दक्षिण में 197 मीटर और पूर्व पश्चिम में 133 मीटर लंबा है. इस गलियारे के परकोटे की चौड़ाई 6 मीटर और ऊंचाई 9 मीटर है. मंदिर में प्रवेश द्वार 38.4 मीटर ऊंचा है. यह मंदिर लगभग 6 हेक्टेयर में बना हुआ है.