मेहंदीपुर बालाजी से जुड़े ये रहस्य क्या आप जानते हैं?

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर रहस्य से भरे कई मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में लोग बुरी आत्माओं से मुक्ति की अर्जी लगाने आते हैं। यहां प्रेतराज सरकार और भैरव बाबा की प्रतिमा है।

ऐसा कहा जाता है कि इस दिन जितना अधिक प्रसाद बांटा और खाया जाता है, उतना ही अधिक पुण्य प्राप्त होता है। लेकिन मेहंदीपुर बालाजी एक ऐसा मंदिर है, जहां का कोई भी प्रसाद आप न तो खा सकते हैं और न ही उसे अपने साथ घर ले जा सकते हैं।

यहां बालाजी को लड्डू, प्रेतराज को चावल और भैरों को उड़द का भोग लगाया जाता है। ऐसे लोग जिन पर बुरी आत्माओं का साया रहता है। खास तौर पर इस प्रसाद के लिए वे अजीबो-गरीब हरकतें करने लगते हैं। इस मंदिर से आप प्रसाद के अलावा कोई भी भोजन या अन्य सामान अपने साथ नहीं ले जा सकते। इसके पीछे रहस्य यह है कि ऐसा करने से आपके ऊपर नकारात्मक या भूत-प्रेत बाधा का साया पड़ सकता है।

मेहंदीपुर बालाजी में दो तरह के प्रसाद चढ़ाए जाते हैं. एक दर्खावस्त या हाजरी और दूसरी अर्जी. हाजरी वाले प्रसाद को दो बार खरीदना पड़ता है और अर्जी वाले में तीन थालियों में प्रसाद दिया जाता है. 

अगर आप मेहंदीपुर बालाजी में हाजरी लगाते हैं तो आपको एक बार हाजिरी लगाने के बाद तुरंत निकल जाना होता है. वहीं अर्जी वालों को प्रसाद लौटते समय दिया जाता है. इस प्रसाद को मंदिर से निकलते समय बिना मुड़कर देखे पीछे फेंक देना होता है.

 मेहंदीपुर बालाजी की बाईं छाती में एक छेद है, जिससे लगातार जल बहता है. लोक मान्यताओं के अनुसार इसे बालाजी का पसीना कहा जाता है.

बालाजी के ठीक सामने भगवान राम और माता सीता की भी प्रतिमा है. मूर्तियों के आमने-सामने होने का रहस्य यह है कि बालाजी हमेशा राम-सीता के दर्शन करते रहते हैं.

मेहंदीपुर बालाजी में आने वाले भक्तों को कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है. जो भी भक्त यहां आते हैं, उन्हें पूरे एक सप्ताह तक लहसुन, प्याज, मासांहार भोजन और मदिरा का सेवन बंद करना पड़ता है.

क्यों डरावना है मेहंदीपुर बालाजी मंदिर, जानें इसके पीछे का रहस्य और जानकारी: