मोती डूंगरी गणेश मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य आपको हैरान कर देंगे।
मोती डूंगरी गणेश मंदिर राजस्थान के जयपुर के प्राचीन और प्रमुख गणेश मंदिरों में से एक है, जो लोगों की आस्था का मुख्य केंद्र है। भगवान गणेश को समर्पित इस गणेश मंदिर के दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं और स्थापित गणेश से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की कामना करते हैं।
कहा जाता है कि मेवाड़ के राजा अपने महल लौट रहे थे और अपने साथ भगवान गणेश की एक प्रतिमा बैलगाड़ी पर ले जा रहे थे। वह एक विशाल मंदिर बनवाना चाहते थे, उन्होंने तय किया कि जहां कहीं भी यह बैलगाड़ी अपने आप रुक जाएगी वहीं वो मंदिर का निर्माण करवाएंगे।
इतिहास के अनुसार बैलगाड़ी मोती डूंगरी की तलहटी में रुकी और वहीं यह मंदिर आज भी स्थित है।
यहां दाहिनी सूंड़ वाले गणेशजी की विशाल प्रतिमा है, जिस पर सिंदूर का चोला चढ़ाकर भव्य श्रृंगार किया जाता है। मोती डूंगरी गणेश मंदिर के बाद भी अनेक मंदिर स्थित हैं। गणेश चतुर्थी के अवसर पर यहां आने वाले भक्तों की संख्या लाख का आंकड़ा पार कर जाती है।
हर बुधवार मंदिर में खास मेला आयोजित होता है। भगवान गणेश बुध के देवता हैं और बुधवार के दिन उनकी विशेष पूजा की जाती है। मंदिर में हर दिन सात दर्शन आयोजित होते हैं और हर दर्शन के लिए खास भजन कीर्तन किए जाते हैं।
लोगों का ऐसा मानना है की नए वाहन की यहां पूजा करने से वह दुर्घटनाग्रस्त नहीं होता है। इसके अलावा यहां शादी के समय पहला निमंत्रण-पत्र मंदिर में चढ़ाने की परंपरा है।
मान्यता है कि निमंत्रण पर गणेश उनके घर आते हैं और शादी-विवाह के सभी कार्यों को शुभता से पूर्ण करवाते हैं। मंदिर की प्रसिद्धि और विश्वास को देखते हुए अब जयपुर के आसपास से भी लोग दूर-दूर से शादी का निमंत्रण देने यहां पहुंचते हैं।
मंदिर में प्रतिदिन सुबह 5 बजे से लेकर दोपहर 1:30 तक दर्शन कर सकते हैं। इसके बाद 4:30 से लेकर रात 9 बजे के बीच में दर्शन करने पहुंच सकते हैं।