चट्टानी महल समुद्र तल से 370 मीटर ऊपर एक विशाल चट्टानी पठार पर दांबुला और है बराने शहरों के बीच द्वीप के केंद्र में स्थित है। ज्वालामुखी के मैग्मा से बना सिगिरिया रॉक पठार, आसपास के जंगलों से 200 मीटर ऊंचा है। जो दूर से देखने पर किसी अचंभे से कम नहीं लगता है।
इसका दृश्य पर्यटकों को प्रकृति और मनुष्य के बीच अनूठे संबंधों को दर्शाते हैं। चट्टानी किले के परिसर में एक खंडहर महल के अवशेष अभी भी हैं, जो कि किलेबंदी, विशाल उद्यान, तालाब, नहरों, गलियों और फव्वारों के व्यापक नेटवर्क से घिरा हुआ है। यहां सीढ़ीदार बगीचे, झीलें और तालाब भी हैं।
यहाँ राजा का महल सिगिरिया रॉक के सपाट शीर्ष पर स्थित था। महल और किले के परिसर को प्राचीन शहरी नियोजनके बेहतरीन उदाहरणों में से एक माना जाता है। सिगिरिया की विशिष्टता को देखते हुए यूनेस्को ने 1982 में इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।
सिगिरिया बगीचों और जलाशयों से घिरा हुआ है। इसके आकर्षक उद्यान दुनिया के कुछ सबसे पुराने भू-भाग वाले उद्यानो में से एक हैं और इनमें झीले, तालाब और सीढ़ीदार उद्यान शामिल हैं।
सिगिरिया रॉक प्राचीन में बौद्ध संघ द्वारा निर्मित मठ माना जाता है। कहा जाता है कि राजा कश्यप ने 5 बी शताब्दी में इसे राजमहल बनाने का निर्णय लिया था। लकिन राजा कि मृत्यु के बाद यह जगह 14 वी शताब्दी में फिर से बुद्ध मठ के रूप में स्थापित होता है। पुरातात्विक महत्व होने के कारण सिगिरिया रॉक पर्यटकों के लिए लोकप्रिय बनी हुई है। जहा दुनिया भर के पर्यटक घूमने आते है।
सिगिरिया रॉक लायन रॉक के नाम से भी प्रसिद्ध मानी जाती है। क्योंकि इस चट्टान को इस तरह बनाया गया है कि इस चट्टान का प्रवेश द्वार शेर कि तरह दिखाई देता है जो चट्टान के उत्तरी हिस्से में है। इस प्रवेश द्वार के कारण इसे सिगिरिया रॉक के नाम से जाना जाता है। यहाँ विशाल पत्थर को शेर के रूप में डिजाइन किया गया था, जिसके पैर आज तक वैसे के वैसे ही हैं लेकिन शरीर के ऊपरी हिस्से नष्ट हो गए है। जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए है।
राजा कश्यप के शासनकाल में निर्मित सिगिरिया रॉक के पश्चमी दीवारे प्राचीन भित्तिचित्रों से ढकी हुई है। जिनमे से 18 भित्ति चित्र आज भी देखे जा सकते है जिनमे नारी सोंदर्य से जुड़ीं आकृतियां देखी जा सकती है। सिगिरिया की मिरर वाल इसके सबसे रोचक तथ्यों में से एक है। माना जाता है की यहाँ कि इन दीवारों के इस तरह देख रेख कि जाती थी की राजा इसमें आपना प्रतिबिम्ब देख सकते थे। इस मिरर वाल में चित्र शिलालेखो और कवितायों के साथ चित्रित किये गये है। जो 8 वी शताब्दी के माने जाते है। यह मिरर वाल पर्यटकों के लिए लोकप्रिय बनी हुई है। जिसके कारण अधिक से अधिक पर्यटक इस मिरर वाल को देखने जाते है।
अगर आप सिगिरिया रॉक घूमने जाने का प्लान बना रहे है तो हम आपको बता दे की जनवरी से अप्रैल का समय सिगिरिया की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय माना जाता है इस समय जलवायु मध्यम और दिन के दौरे के लिए उपयुक्त समय होता है। हालाकि साल का बाकि समय भी औसत मौसम के साथ-साथ उच्चतम तापमान 31 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है।
अगर आप भारत से सिगिरिया की यात्रा का प्लान बना रहे है है तो भारत के प्रमुख शहरो जैसे त्रिवेंद्रम, बेंगलुरु, चेन्नई, मुंबई, नई दिल्ली से कोलंबो के लिए श्रीलंकाई एयरलाइंस सीधी उड़ानें संचालित करती हैं। और लखनऊ, चंडीगढ़ और अन्य उत्तरी शहरों से भी कोलंबो के लिए कनेक्टिंग उड़ानें हैं। जिनसे आप कोलंबो पहुच सकतें हैं। फिर आप वहा से स्थानीय साधन से यात्रा करके सिगिरिया पहुच सकते हैं।