Tungnath Shiv Temple Chopta Uttarakhand दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर है। बताया जाता है कि करीब 1000 साल पुराना मंदिर प्राचीन काल का है। उस मंदिर की नींव महारथी गांडीवधारी अर्जुन ने रखी थी।

तुंगनाथ पर्वत पर होने के कारण इस मंदिर का नाम ‘तुंगनाथ’ मंदिर है। यह देवों के देव महादेव के पंच केदारों में से एक है।  

इस मंदिर में भगवान शिव के हृदय और उनकी भुजाओं की पूजा की जाती है। इस मंदिर में पूजा की जिम्मेदारी मक्कामठ गांव के एक स्थानीय ब्राह्मण को सौंपी गई है।  

कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध में विजयी होने के बाद, पांडवों पर अपने भाइयों की हत्या का आरोप लगाया गया था। ऐसे में पांडव भ्रातृहत्या के पाप से मुक्ति पाना चाहते थे। इसके लिए भगवान शंकर का आशीर्वाद प्राप्त करना आवश्यक था लेकिन भगवान शिव पांडवों से मिलना नहीं चाहते थे। 

तुंगनाथ मंदिर के धार्मिक महत्व की बात करें तो तुंगनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित पांच मंदिरों (पंच केदार) में प्रमुख मंदिर है।  

अगर आपको तुंगनाथ मंदिर जाने के साथ-साथ थोड़ा रोमांच भी पसंद है तो दिवाली से पहले नवंबर में इस यात्रा को पूरा कर सकते हैं, क्योंकि नवंबर में आप मंदिर जाने के साथ-साथ बर्फ का मजा भी ले सकते हैं।  

आपको बता दें कि इस मंदिर और इस मंदिर सहित अन्य क्षेत्रों में नवंबर-फरवरी और कभी-कभी मार्च तक बहुत अधिक बर्फबारी होती है, जिसके कारण दिवाली के दो दिन बाद नवंबर में बर्फबारी होती है। दूज के दिन मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और सर्दियां कुछ कम होने के बाद अप्रैल-मई में अक्षय तृतीया के दिन मंदिर के कपाट खोले जाते हैं। 

तुंगनाथ मंदिर पर्यटकों के लिए सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक खुला रहता है।