अगर आप जयपुर जा रहे हैं, तो पहले जान लीजिए कि इस शहर को पिंक सिटी क्यों कहा जाता है। गुलाबी शहर नाम रखने के कई कारण हैं, जो हमने आपको इस स्टोरी में बताएं हैं।

वैसे तो आपको इससे जुड़ी कई थियोरी मिल जाएंगी, लेकिन इस शहर से जुड़ी अब तक की सबसे लोकप्रिय थियोरी यहां का औपनिवेशिक शासन है।  

वर्ष 1876 में प्रिंस अल्बर्ट को भारत का दौरा करना था। उस दौरान महाराजा सवाई राम सिंह द्वितीय, जो जयपुर के तत्कालीन शासक थे, ने अपने आतिथ्य में शाही अतिथि के सम्मान में पूरे शहर को गुलाबी टेराकोटा से रंग दिया था। 

तब से यहां की सभी इमारतें और और घरों को गुलाबी रंग में रंगने का कानून बन गया।

कुछ हिस्सों में तो आज भी इस कानून का पालन किया जा रहा है। ऐतिहासिक जानकारी के अनुसार, शहर गुलाबी से पहले सफेद रंग का था। 

लोकप्रिय धारणा में ये भी कहा जाता है कि महाराजा द्वारा जयपुर को गुलाबी रंग में रंगने का उद्देश्य प्रिंस अल्बर्ट को प्रभावित करने की रणनीति का एक हिस्सा था। 

महाराजा सच में चाहते भी थे कि राजकुमार जयपुर की यात्रा करें ताकि वह अंग्रेजों के साथ मजबूत संबंध बना सकें। 

साथ ही ब्रिटिश राजकुमार के सम्मान में एक भव्य कॉन्सर्ट हॉल का भी निर्माण किया गया था, जिसका नाम अल्बर्ट हॉल है। इसे लंदन में विक्टोरिया और अल्बर्ट म्यूजियम के बाद बनाया गया था। 

प्रिंस अल्बर्ट की यात्रा के दौरान ये भी देखने को मिलता है कि, उस समय उनके भारत दौरे में हर कोई उनकी शाही मेहमानवाजी करना चाहता था। अलवर, बनारस, मैसूर और जोधपुर के कई शासकों ने उन्हें महंगे उपहार देकर एक बेहतरीन आतिथ्य दिखाने की कोशिश की थी। 

ऐसा माना जाता है कि जब राजकुमार ने जयपुर का दौरा किया, तो वहां के गुलाबी अवतार को देखकर वो हैरान रह गए, देखने के बाद उनके मुंह से 'पिंक सिटी' शब्द निकला और तब से इसका निकनेम ये पड़ गया। 

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