जयपुर शहर में अरावली पर्वतमाला पर स्थित देश का एकमात्र ऐसा मंदिर, जहां बिना सूंड वाले गणेश जी की प्रतिमा है। यह मंदिर गढ़ गणेश के नाम से विख्यात है।  

करीब 500 फीट की ऊंचाई पर बने गढ़ गणेश मंदिर तक पहुंचने के लिए हर रोज एक सीढ़ी का निर्माण करवाया जाता था। इस तरह पूरे 365 दिन तक एक-एक सीढ़ी का निर्माण चलता रहा। आज मनोकामना पूरी करने के लिए दूर-दूर से सैकड़ों श्रद्धालु 365 सीढ़ियां चढ़कर मंदिर तक पहुंचकर बिना सूंड वाले बाल रूप श्रीगणेश के दर्शन करते हैं। 

इस मंदिर की स्थापना के साथ ही यहां फोटोग्राफी पर पाबंदी लगा दी गई थी। कभी भी मंदिर के गर्भगृह में मौजूद प्रतिमा की फोटो नहीं खींची गई।  

पहाड़ी पर गढ़ गणेश, गोविंद देव मंदिर, सिटी पैलेस और अल्बर्ट हॉल को एक ही दिशा में एक दूसरे के समानांतर निर्माण करवाया गया।

प्रसिद्ध गैटोर की छतरियां तक निजी साधन से पहुंचने के बाद यहां के लिए चढ़ाई शुरू होती है। मंदिर इतनी उंचाई पर बसा हुआ है जहां पहुंचने के बाद जयपुर की भव्ययता देखते ही बनती है।  

गढ़ गणेश मंदिर से पूरा शहर नजर आता है। यहां से पुराना शहर पूरा नजर आता है। एक तरफ पहाड़ी पर नाहरगढ, दूसरी तरफ पहाड़ी के नीचे जलमहल, सामने की तरफ शहर की बसावट का खूबसूरत नजारा यहां से देखा जा सकता है। बारिश में यह पूरा इलाका हरियाली से आच्छादित हो जाता है। 

इस मंदिर में प्रसाद चढ़ाते समय गणेशजी के मंत्रों का भी उच्चारण किया जाता है। गणेश चतुर्थी के दूसरे दिन यहां पर भव्य मेला आयोजित होता है। मंदिर का निर्माण जयपुर के संस्थापक सवाई जयसिंह द्वितीय ने कराया।

गढ़ गणेश मंदिर ब्रह्मपुरी जयपुर के पास स्थित है और शहर के बाहरी इलाके में गेटर रोड पर स्थित है। यह जयपुर रेलवे स्टेशन से 7 किमी की दूरी पर है और बस और टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं। 

कहा जाता है कि पूर्व राजा-महाराजा गोविंददेवजी और गढ़ गणेश जी के दर्शन करके अपनी दिनचर्या की शुरुआत करते थे। मंदिर में दो बड़े मूषक भी हैं, जिनके कान में दर्शनार्थी अपनी मन्नत मांगते हैं।