हवा महल का नाम हवा महल क्यों रखा गया - Hawa Mahal Name
हवा महल जयपुर का एक आकर्षक स्थल है, जो अपनी गुलाबी रंग की बालकनियों और जालीदार खिड़कियों के लिए लोकप्रिय है, जहाँ से आप शहर का मनोरम दृश्य देख सकते हैं।
हवा महल के अंदर कदम रखते ही लोगों को यहां की राजपुताना और इस्लामी मुगल वास्तुकला का मेल देखने को मिलता है।
हवा महल को ताज के आकार में बनाया गया है। कुछ लोग इस लुक की तुलना कृष्ण के मुकुट से भी करते हैं. इसका संबंध कृष्ण के मुकुट से है क्योंकि सवाई प्रताप सिंह भगवान कृष्ण के बहुत बड़े भक्त माने जाते थे।
इसका विशिष्ट गुलाबी रंग, जो प्राकृतिक बलुआ पत्थर की वजह से है, जयपुर को इसका उपनाम, यानी गुलाबी शहर इसी की वजह से मिला है।
हवा महल का अनोखा आकर्षण इसकी 953 खिड़कियाँ हैं जो दीवारों को फीते की तरह ढकती हैं। हवा महल विशेष रूप से राजपूत सदस्यों और विशेष रूप से महिलाओं के लिए बनाया गया था, ताकि शाही महिलाएं नीचे की सड़क पर होने वाले दैनिक नाटक और नृत्य को देख सकें।
हालांकि हवा महल एक पांच मंजिला इमारत है, लेकिन यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि चढ़ने के लिए कोई सीढ़ियां नहीं हैं। हालांकि, आप रैंप के जरिए हर एक मंजिल तक पहुंच सकते हैं।
हवा महल का नाम यहां की 5 वीं मंजिल के नाम पर रखा गया है, क्योंकि 5 वीं मंजिल को हवा मंदिर के नाम से जाना जाता है, इसलिए इसका नाम हवा महल रखा गया। साथ ही महल के अंदर तीन छोटे मंदिर भी मौजूद हैं - गोवर्धन कृष्ण मंदिर, प्रकाश मंदिर और हवा मंदिर।
एक और दिलचस्प तथ्य यह है कि पूरी इमारत बिना किसी ठोस नींव के बनी है। हालाँकि हवा महल दुनिया की गगनचुंबी इमारतों की तुलना में उतना ऊँचा नहीं है, लेकिन इसे बिना किसी नींव के दुनिया की सबसे ऊँची इमारतों में से एक माना जाता है।
हालांकि गर्मियों में जयपुर का तापमान बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। फिर भी यह महल गर्मियों में उतना गर्म नहीं होता। इसके पीछे का कारण यहां की 953 छोटी-छोटी खिड़कियां हैं जिनसे होकर ठंडी हवाएं अंदर आती हैं और इस जगह को हमेशा ठंडा रखती हैं।