12 ज्योतिर्लिंगों में उज्जैन का महाकाल ज्योतिर्लिंग अपने में विशिष्ट स्थान रखता है. यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश में उज्जैन शहर के शिप्रा नदी के किनारे स्थिति है जो कि शिव भक्तों के लिए अति महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है.

महाकालेश्वर मंदिर की  मंगला आरती विश्व में अनोखी प्रकार की आरती है. इसमें महाकाल ज्योतिर्लिंग का भस्म से अभिषेक करते हैं. 

यह आरती प्रति दिन ब्रह्म मुहूर्त (सूर्योदय से लगभग दो घंटे पहले) में की जाती है. इस आरती में महिलाएं घूंघट में शामिल होती है. यहां पर ज्योतिर्लिंग का श्रृंगार भी भस्म से ही किया जाता है. आइये जानें ऐसा क्यों करते हैं?

शिव पुराण की कथा के अनुसार, देवी सती के देह त्याग के बाद भगवान शिव अत्यंत दुखी हुए. इस दुःख में वे अपनी सुध-बुध खो बैठे और देवी सती का शव लेकर तांडव करने लगे. 

शिव का मोह भंग करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती के शव के कई टुकड़े कर दिए. सती के वियोग में भगवान शिव शंकर ने औघड़ एवं दिगंबर रूप धारण कर शमशान पर बैठ गए और अपने शरीर पर चिता की भस्म लगा ली. मान्यता है कि तभी से भस्म भी भगवान शिव का श्रृंगार बन गया और महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का श्रृंगार भस्म से किया जाने लगा.    

शिवलिंग पर चढ़ाएं ये सामग्रियां

भगवान शिव को पुष्प, पंच फल, पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, चीनी, पान-सुपारी, लौंग, इलायची, पवित्र जल, पंच रस 

इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी चंदन अति प्रिय है. इसलिए भक्तों द्वारा भगवान शिव की पूजा में ये चीजें अर्पित करते हैं. 

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग एक हिंदू मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है और बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। इसे भगवान शिव का सबसे पवित्र निवास कहा जाता है। चूँकि यह एक स्व-निर्मित लिंग है, इसलिए यह अपने आप ही शक्ति प्राप्त करता है। 

उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर क्यों है इतना प्रसिद्ध जाने रहस्य