विश्व धरोहर फूलों की घाटी (1 जून) से पर्यटकों के लिए नंदादेवी पार्क प्रशासन ने खोल दी है
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हर साल घाटी 1 जून को पर्यटकों के लिए खोल दी जाती है और 31 अक्टूबर को बंद की जाती है.
इस बार हुई बर्फबारी से घांघरिया से फूलों की घाटी तक 3 किमी पैदल ट्रेक क्षतिग्रस्त हो गया था.
नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क तक पहुंचने के लिए बर्फ काटकर रास्ता तैयार किया गया है.
भारतीय पर्यटकों को 150 और विदेशी पर्यटकों को 600 रुपये का शुल्क देना होता है. फूलों की घाटी की सैर के लिए वन विभाग ने पूरी तैयारी की है.
फूलों की घाटी दुनिया की इकलौती जगह है, जहां प्राकृतिक रूप में 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते है.
घाटी की खोज साल 1931 में कामेट पर्वतारोहण के बाद ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रेंक स्मिथ ने की थी. वह भटककर यहां पहुंच गए थे और घाटी की सौंदर्य पर इस कदर रीझे कि फिर कई दिन यहीं गुजारे.
अक्टूबर 2005 में यूनेस्को ने फूलों की घाटी को विश्व धरोहर का दर्जा प्रदान किया.