मान्यता है कि एक साधु शिवकुमार दास को कैंसर था। उसे हनुमान जी ने मंदिर में डॉक्टर के वेश में दर्शन दिए थे। वे गर्दन में आला डाले थे, जिसके बाद साधु पूरी तरह स्वस्थ हो गया। आज इस मंदिर में प्रदेश नहीं बल्कि देशभर से लोग अपनी गंभीर बिमारियों का इलाज करवाने आते हैं और कई लोगों को बीमारियों से छुटकारा भी मिलता है।
अति प्राचीन मंदिर होने तथा सिद्ध स्थल होने के कारण लोगों की आस्था का केंद्र है, यहां दर्शन के लिए आए किसी भक्त को खाली हाथ नहीं लौटना पड़ता है उसकी मुराद जरुर ही पूरी होती है।
श्रद्धालुओं का मानना है कि, डॉ. हनुमान के पास सभी प्रकार के रोगों का कारगर इलाज है। वैसे तो यहां श्री राम दरबार भी है और अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी हैं, लेकिन इस मंदिर की विशिष्ट ख्याति हनुमान जी के कारण है। इस मंदिर पर अनुष्ठान संपन्न करने बहुत दूर-दूर से लोग आते हैं। साल में एक बार यहां विशाल मेला आयोजित होता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं।
300 साल पहले हनुमानजी की यह मूर्ति नीम के पेड़ से छिपी थी। पेड़ को काटने पर गोपी वेषधारी हनुमान जी की ये प्राचीन मूर्ति प्राप्त हुई थीं। यह हनुमान जी की मूर्ति नृत्य मुद्रा में स्थापित है। यह देश की अकेली ऐसी मूर्ति है, जिसमें हनुमान जी को नृत्य करते हुए दिखाया गया है।
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श्रद्धालुओं का दर्द दूर करने वाले हनुमान जी को पहले दंदरौआ कहा जाने लगा। माना जाता है कि रोगों के लिए हनुमान जी की भभूत कारगर है।
विशेष रूप में फोड़ा, अल्सर और कैंसर जैसी बीमारियां भी मंदिर की पांच परिक्रमा करने पर ठीक हो जाती हैं। यहां डॉक्टर हनुमान के पास अच्छी सेहत की उम्मीद लेकर लाखों श्रद्धालु जुटते है।