हिमाचल प्रदेश में वैसे तो कई पर्यटन स्थल हैं, लेकिन यह पैराग्लाइडिंग, ट्रैकिंग और पर्वतारोहण जैसी गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध है। खीरगंगा ऐसे ही पर्यटन स्थलों में से एक है।
ऐसा मानना है कि यहां शिवजी के बड़े बेटे कार्तिक जी ने तप किया था. यहां खीर गंगा नदी बहती है, जिसमें छोटे-छोटे सफेद कण देखे जा सकते हैं.
हिमाचल के सबसे खूबसूरत ट्रैक्स में से एक है। इस ट्रैक के दौरान आपको चारों ओर विशाल पर्वत देखने को मिलेंगे, गर्म पानी के कुंड व प्रकृति की ओर से मिल रही ताजी आबोहवा आपका मन मोह लेगी।
यहां जाने के लिए सबसे पहले आपको कसोल के 10 किमी के ट्रैक को पार करना होगा तब जाकर आप खीरगंगा ट्रैक का मजा उठा पाएंगे।
हालांकि पार्वती घाटी पूरे साल बेहद खूबसूरत दिखती है, लेकिन खीरगंगा ट्रैक करने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर और जून के बीच है। अप्रैल, मई भी ट्रैकिंग के लिए एक अच्छा महीना है। इन महीनों में वहां तापमान औसत 15 डिग्री से 25 डिग्री सेल्सियस तक रहता है।
बारिश के दौरान ट्रैकिंग करने के लिए रास्ता बेहद फिसलन और जोखिम भरा हो जाता है, इसलिए लोगों को मानसून के दौरान ट्रैकिंग करने की सलाह नहीं दी जाती।
दिल्ली से कुल्लू के लिए बस मिलती है यह दूरी करीब 500 किलोमीटर है. कुल्लू के बाद भुंतर और कसोल तक जाने के लिए प्राइवेट बस और जीप आसानी से मिल जाती है. खीर गंगा का निकटतम शहर बर्शेणी है.
इसके बीच में कसोल और मणिकर्ण पड़ते हैं. मणिकर्ण से खीरगंगा 25 किलोमीटर दूर है. खीर गंगा पहुंचने के लिए भुंतर, कसोल, मणिकरण और बर्शेणी तक सड़क मार्ग को वाहन से तय कर सकते हैं और आगे का 10 किलोमीटर का सफर पैदल तय करना होता है.
पुलगा से 3 किलोमीटर आगे नकथान गांव हैं यह पार्वती घाटी का आखिरी गांव है. यहां आपको भोजन, नाश्ता मिल जाएगा. गांव के लोग स्टॉल लगा कर बिस्कुट और चाय बेचते हैं.
कुछ दूरी पर रुद्रनाग है यहां चट्टानों से होकर पानी नीचे आता है. यह झरना देखने में काफी मनमोहक होती हैं. स्थानीय लोगों में इस झरने के लिए काफी श्रद्धा है उनका मानना है कि यहां देवता भी दर्शन करने के लिए आते हैं. इसके पास ही पार्वती नदी का झरना भी है.
मणिकरण साहिब जहां भगवान शिव ने अपनी तीसरी आंख खोली थी