Journey in Sleeper Coach with General Ticket:- भारतीय रेलवे ने यात्रियों की सुविधा और ट्रेनों में खाली सीटों को भरने के लिए कई नियम बनाए हैं। लेकिन, कई यात्रियों को इन नियमों की जानकारी नहीं होती, इसलिए या तो वे इसका फायदा नहीं उठा पाते या फिर गलतियां कर बैठते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए आज हम आपको एक नियम के बारे में बता रहे हैं.
इस कारण ट्रेनों को खाली सीटों के साथ ही आगे बढ़ना पड़ता है। वहीं सीटें खाली रहने से रेलवे को आर्थिक नुकसान भी होता है. इस नुकसान की भरपाई के लिए रेलवे स्थानीय और जोन स्तर पर कई नियम बनाता है, ताकि ट्रेनों में उपलब्ध सीटों का अधिकतम उपयोग किया जा सके। इससे जुड़ा एक नियम है जनरल टिकट पर स्लीपर कोच में यात्रा करना. पहली नज़र में ये बात आपको अजीब लग सकती है. लेकिन, भारतीय रेलवे यह सुविधा मुहैया कराता है। यहां जनरल टिकट का मतलब पूरी तरह से जनरल टिकट है. हम आपको गुमराह नहीं कर रहे हैं.
आपको बस यहां यह ध्यान रखना होगा कि यह सुविधा हर ट्रेन में उपलब्ध नहीं है। आप अलग-अलग जोन की कुछ ट्रेनों में कुछ स्टेशनों के बीच इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। इस सुविधा के तहत यात्री जनरल टिकट खिड़की से टिकट खरीदकर स्लीपर कोच में बैठकर कुछ दूरी की यात्रा कर सकता है। स्पिलर कोच में जनरल टिकट पर यात्रा करने वाले यात्री से टीटीई कोई जुर्माना या जुर्माना नहीं वसूलेगा.
Journey in Sleeper Coach with General Ticket – जनरल टिकट से स्लीपर कोच में यात्रा
अगर आप नियमित रूप से ट्रेन से यात्रा करते हैं तो यह नियम आपके लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकता है। दरअसल, भारतीय रेलवे लोगों को परिवहन सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनी की तरह काम करती है। इसका जोर ट्रेनों में ज्यादा से ज्यादा सीटें भरने पर है। लेकिन, देश के अलग-अलग रूटों पर कई ऐसी ट्रेनें चलती हैं जिनमें किसी खास स्टेशन के बाद अगले कुछ स्टेशनों तक सीटें खाली रहती हैं।
अब सवाल यह है कि क्या ऐसी स्थिति में द्वितीय श्रेणी के जनरल टिकट के आधार पर ट्रेन की किसी अन्य बोगी यानी आरक्षित श्रेणी की बोगी में यात्रा की जा सकती है?
अगर ऐसी परिस्थिति रहती है तो आप ऐसा बिल्कुल कर सकते है हालांकि इसकी कुछ शर्तें भी हैं. जिसके बारे में आपको पता होना चाहिए. द्वितीय श्रेणी के ट्रेन टिकट की वैलिडिटी होती है ये रेल अधिनियम, 1989 के तहत है. नियम के मुताबिकस अगर यात्रा 199 किलोमीटर या इससे कम दूरी की है तो टिकट की वैलिडिटी 3 घंटे तक रहेगी.
रेलवे एक्ट के अनुसार अगर आपके पास द्वितीय श्रेणी का टिकट है और जनरल कोच में पैर रखने तक की जगह नहीं है तब आपको अगली ट्रेन के आने तक इंतजार करना होगा, क्योंकि ये टिकट यात्रा के लिए होता है जो किसी विशेष ट्रेन के लिए आरक्षित नहीं होता है.
पहली बात तो ये कि ये नियम अलग-अलग जोन के हिसाब से हैं. अलग-अलग जोन अपने रूट पर कुछ ट्रेनों को चिह्नित कर यह पता लगाते हैं कि दिन में किन दो प्रमुख स्टेशनों के बीच स्लीपर कोच में सीटें खाली रहती हैं। इसे ध्यान में रखते हुए यात्रियों को उस क्षेत्र के उक्त स्टेशनों के बीच सामान्य टिकट खिड़की से टिकट जारी किए जाते हैं। इसमें शर्त यह है कि ट्रेन दिन के समय उक्त स्टेशनों के बीच से गुजरे. दिन में यहां से गुजरने वाली ट्रेनों में ऐसे टिकट जारी करने का मकसद यह है कि स्पिलर कोच में रिजर्वेशन कराने वाले यात्रियों को कोई दिक्कत न हो।
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