Kali Mata Temple in Amarsar Rajasthan:- शाहपुरा तहसील के अमरसर की ऊंची पहाड़ियों पर स्थित महाकाली शक्तिपीठ मंदिर लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां सिर्फ नवरात्र के दौरान ही नहीं बल्कि सामान्य दिनों में भी देशभर से भक्तों का तांता लगा रहता है। पहाड़ों के बीच प्रकृति की गोद में माता का दरबार यहां आने वाले भक्तों का मन मोह लेता है।
यह मंदिर जयपुर से 75 किलोमीटर दूर और जयपुर-सीकर राष्ट्रीय राजमार्ग से चौमू अजीतगढ़ उपमार्ग पर अमरसर गांव से 5 किलोमीटर दूर अरावली पर्वतमाला की एक पहाड़ी पर स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर महाभारत काल के समकालीन है। जनश्रुति के अनुसार काली माता ने अमरसर गांव के एक लकड़हारे चूहे भक्त को दर्शन देकर पिंडी रूप धारण कर लिया और मंदिर निर्माण का आदेश दिया और आज यह मंदिर उसी स्थान पर स्थित है।
Kali Mata Temple in Amarsar Rajasthan – राजस्थान के अमरसर में काली माता का मंदिर
जयपुर जिले के अमरसर में काली माता का विश्व प्रसिद्ध मंदिर (World famous temple of Kali Mata) स्थित है, जहां दूर-दूर से श्रद्धालु मंदिर के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। नवरात्रि के दौरान मंदिर में काफी भीड़ होती है और मेला भी लगता है। कालीमाता का मंदिर जयपुर से 75 किमी दूर और चौमूं अजीतगढ़ राज्य राजमार्ग पर अमरसर गांव से 5 किमी दूर अरावली पर्वतमाला में एक पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर तक पहुँचने के लिए लगभग 451 सीढ़ियाँ हैं। यात्रियों की सुविधा के लिए सीढ़ियों पर टिनशेड की व्यवस्था भी है।
मन्दिर में दिन में ही दर्शन कराये जाते हैं
मंदिर के आधार पर शिव मंदिर, भैरव मंदिर और माता कालिका चतुर्भुज विग्रह स्थापित हैं। मंदिर में एक धर्मशाला है। दिन में मंदिर में दर्शन होते हैं और रात में पहाड़ी पर जाने की इजाजत नहीं होती. यह अमरसर व आसपास के गांवों के निवासियों की कुल देवी मानी जाती है तथा बड़ी संख्या में श्रद्धालु जात-जड़ उतारने के लिए यहां आते हैं। मंदिर में शुद्ध-सात्विक प्रसाद चढ़ाया जाता है और मंदिर में लहसुन-प्याज वर्जित है।
History of Kali Mata located in Amarsar – अमरसर में स्थित काली माता का इतिहास
पौराणिक कथा के अनुसार अज्ञातवास के समय भगवान श्रीकृष्ण के आदेश पर पांडवों ने यहां मां शक्ति की पूजा की थी। महाकाली प्रकट हुईं और पांडवों को विजयश्री का आशीर्वाद दिया। मंदिर के नीचे से नदी का उद्गम स्थल है जो बाद में माधव वेणी नदी के नाम से प्रसिद्ध हुई जो आज भी बिशनगढ़ में एक धारा के रूप में बहती है।
मंदिर के महंत प्रेमदास महाराज ने बताया कि सैकड़ों वर्ष पहले चूहा भगत नामक चरवाहे को महाकाली ने दर्शन दिए थे और प्राकृतिक गुफा में रहने की जानकारी दी थी। इसके बाद रियासत काल और वर्तमान समय में मंदिर में काफी निर्माण कार्य हुआ है।
जनश्रुति के अनुसार काली माता ने अमरसर गांव के लकड़हारे चूहे भक्त को दर्शन देकर पिंडी रूप में परिवर्तित कर लिया और मंदिर निर्माण का आदेश दिया और आज यह मंदिर उसी स्थान पर स्थित है मंदिर में कालीमाता के दर्शन के लिए सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं और लगभग 451 सीढ़ियाँ चढ़ने के बाद माँ के दर्शन होते हैं।
मंदिर के आधार पर शिव मंदिर, भैरव मंदिर और माता कालिका चतुर्भुज विग्रह स्थापित हैं। मंदिर में एक धर्मशाला है। मंदिर में दिन में दर्शन होते हैं और रात में पहाड़ी पर जाने पर प्रतिबंध है क्योंकि पहाड़ी पर कई तरह के जंगली जानवर भी रहते हैं। कालीमाता को अमरसर तथा आस-पास के गांवों के लोगों की कुल देवी माना जाता है तथा बड़ी संख्या में श्रद्धालु जात-जड़ उतारने के लिए यहां आते हैं। मंदिर में शुद्ध-सात्विक प्रसाद चढ़ाया जाता है। मंदिर में लहसुन-प्याज वर्जित है।
How To Reach Kali Mata Amarsar – काली माता अमरसर कैसे पहुंचें
ऊंचे पहाड़ पर विराजमान महाकाली के मंदिर तक पहुंचने के लिए सुविधायुक्त सीढियां बनी हुई है। पहाड़ी में मंदिर तक सड़क बनने से कार जीप में सवार होकर माता के दर्शन कर सकते है।
सरकार द्वारा 4 करोड़ की लागत से देवीपुरा (त्रिवेणीधाम) से चर्च तक चिरते मंदिर तक सीधी सड़क का निर्माण किया गया है। इससे अब आश्रम को त्रिवेणीधाम से 4.5 किलोमीटर की दूरी तय करके ही कालीमाता के पास पहुंचना है। इससे श्रद्धालुओं का समय और धन दोनों की बचत हो गई। दर्शन के लिए कार में जा सकते हैं
- सड़क: बस स्टेण्ड अमरसर— 5 किलोमीटर
- रेलवे स्टेशन: चौमूं— 41 किलोमीटर
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