Shiv Dungri Chaksu Jaipur: चाकसू शहर से लगभग 3 किमी दूर जयपुर टोंक रोड के पास स्थित ऊंची पहाड़ी शिव डूंगरी के नाम से प्रसिद्ध है। पहाड़ी पर चढ़ने के लिए 500 से अधिक सीढ़ियां हैं। पहाड़ी की चोटी पर एक प्राचीन शिव मंदिर है, जिसे गुरु गोरखनाथ का निवास स्थान माना जाता है, जहाँ धुना बनाया जाता है। मंदिर प्राचीन काल से बना हुआ है, जो लोगों की आस्था का केंद्र है।
क्या भूमिका यहां गोरखनाथ जी की रही थी जानते हैं इस मंदिर के बारे में-
Shri Trimbakeshwar Mahadev Hill Baba Temple– शिव डूंगरी और शिव जी का मंदिर भगवान श्री गोरखनाथ जी का मंदिर माना जाता है। चाकसू भारत के राजस्थान राज्य के जयपुर ज़िले में स्थित एक नगर पालिका है। यह शहर जयपुर से राष्ट्रीय राजमार्ग 52 पर 40 किमी की दूरी पर स्थित है।
जयपुर जिले के दक्षिणी भाग में है दोस्तों चाकसू जिसे प्राचीन समय में चारशुभ नाम से जाना जाता था। जहा एक डूंगरी चाकसू में है जहां पर शीतला माता का मंदिर बना है और एक है यहां पर शिव डूंगरी जहां पर गुरु गोरखनाथ की तपोभूमि मानी जाती है जहा भगवान शिव का एक ऐतिहासिक मंदिर बना हुआ है। जिसे Pahadi Vale Baba के नाम से भी जाना जाता है।
यहां पर भगवान शिव और गोरखनाथ का तपो स्थल बना हुआ है इसके बारे जानते है यहां के महंत जी के माध्यम से की क्या गुरु गोरख जी की यहां से महिमा जुड़ी हुई है और क्या भगवान शिव की महिमा यहां से जुड़ी हुई है।
इनके बारे में बताया जाता है कि यहां पर गद्दी लगती है और शनिवार और रविवार को यहां स्पेशल दिन पर होता है जहा हजारों की तादाद में श्रद्धालु यहां पर आते हैं और उनकी व्यवस्था की जाती है।
Shiv Dungri Chaksu Jaipur History In Hindi – जानते हैं इस मंदिर की महिमा के बारे में
मंदिर को लेकर काफी जिज्ञासा है की यह भव्य मंदिर किसने बनाया होगा जानते हैं इस मंदिर की महिमा के बारे में, इसको लेकर भी कुछ भक्तों का अलग ही कहना है यहाँ पर एक बड़ का पेड़ है जहा पर निचे की तरफ सीढ़ियां जा रही है तो इसका महत्व बना हुआ है की यहाँ नागदेव पूजा होती है और जींद महाराज की पूजा होती और नाग देवता कभी कभी यहाँ दर्शन देते है।
एक त्रिंबकेश्वर है महाराष्ट्र के नासिक में जहां से गोदावरी नदी का उद्गम होता है और एक त्रिंबकेश्वर है जयपुर के दक्षिण में चाकसू में शिव डूंगरी पर जहां पर गोरखनाथ जी ने तपस्या की थी। ऐसा स्थान जहा पर भगवान शिव की अनोखी महिमा मिलती है एक अलग ही सवरूप में आप को शिवलिंग मिलता है ज्यादातर पत्थर होते है लेकिन यहाँ के शिवलिंग के पत्थर की शेप आपको अलग ही मिलेगी।
यह शिव मंदिर सब शिव मंदिरो से अलग क्यों है
यह मंदिर लगभग 2500 वर्ष पुराना है विक्रम संवत चालू हुआ था उसी समय का है अभी जो कहानिया जुडी हुई है और कुछ तत्य सामने आये है की राजा बरहतरी जी ने उज्जैन के राजा भरतरी जी ने उज्जैन का राज छोड़ कर अपने भाई विक्रमादित्य को राज देखकर अपने वैराग्ये पर निकले तो घूमते घूमते अपनी जन्मस्टली चाकसू में पहुंचे यहाँ उन्होंने प्रणाम किया यहाँ पर एक धुन्ना बना हुआ है। गुरु महायोगी गुरु गोरखनाथ जी ने इसी धूणे पर बैठकर बरहतरी जी को अजर अमर होने का आशीर्वाद दिया था तबसे मंदिर की और शिव की स्थापना माननीय है।
चाकसू के शिव डूंगरी स्थित प्रसिद्ध गुरु गोरखनाथ की तपोस्थली में रविवार रात वार्षिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में पहुंचे श्रद्धालुओं ने महाआरती कर गुरु गोरखनाथ की पूजा अर्चना की। इस दौरान गुरु गोरखनाथ की धुने में हवन भी किया जाता है।