Amarnath Yatra Latest Information in Hindi:– 2023 में अमरनाथ यात्रा कब शुरू होगी और 2023 में अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन कैसे होगा, यह यात्रा कितने समय तक चलेगी? ऐसी ही सभी महत्वपूर्ण जानकारी मैं आपको इस आर्टिकल में देने जा रहा हूं। इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें.
भारत में अजूबों की कोई कमी नहीं है, आज भी ऐसे कई रहस्य हैं जो आज तक सामने नहीं आ सके हैं, जिनकी वजह आज तक कोई नहीं जान पाया है। इन्हीं में से एक है अमरनाथ का शिवलिंग, जिसकी जानकारी आपको Amarnath Yatra Latest Information in Hindi में दी गई है। हिंदू मान्यता के अनुसार अमरनाथ यात्रा सबसे कठिन यात्रा मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जिसने अमरनाथ की यात्रा कर ली, उसका जीवन सफल हो गया। जम्मू-कश्मीर में स्थित अमरनाथ गुफा दुनिया भर में स्थित भगवान शिव के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है।
अमरनाथ मंदिर की गुफा बेहद रहस्यमय है जहां हर साल बर्फ द्वारा भगवान के अदभुद शिवलिंग का निर्माण होता है जिनकी संरचना को स्वयंभू हिमानी शिवलिंग के नाम से जाना जाता है।
अमरनाथ गुफा की ऊंचाई | 3888 मीटर |
श्रीनगर से दूरी | 141 किलोमीटर |
गुफा की लम्बाई, चौड़ाई, ऊंचाई | 19 मीटर, 16 मीटर, 11 मीटर |
पहलगांव के बाद यात्रा का समय | 5 दिन |
पैदल चलाई | 16 किलोमीटर |
Amarnath Yatra Latest Information in Hindi – अमरनाथ यात्रा से जुड़ी जानकारी
अमरनाथ यात्रा की मान्यता इतनी है कि हर साल लाखों लोग चुनौतियों का सामना करते हुए भी यह यात्रा पूरी करते हैं। 62 दिनों की यह यात्रा हर साल जुलाई में शुरू होती है। यहां का मुख्य आकर्षण अमरनाथ की गुफा (Amarnath Ki Gufa) है। अमरनाथ गुफा श्रीनगर से 141 किमी दूर 3888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
गुफा की लंबाई 19 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर है। पूरे साल यह गुफा भारी बर्फबारी के कारण ढकी रहती है। गर्मियों में जब यह बर्फ पिघलने लगती है तो इसे कुछ समय के लिए श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाता है। वैसे, अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ भी कहा जाता है, क्योंकि यहीं पर भगवान शिव ने अपनी दिव्य पत्नी पार्वती को जीवन और अनंत काल का रहस्य बताया था।
इस साल यानी की 2023 में अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई (शनिवार) से शुरू हो रही है. अमरनाथ यात्रा के पहले दिन 4 शुभ संयोग बन रहे हैं, जो इस दिन को और भी खास बना रहे हैं. इस साल अमरनाथ यात्रा 62 दिनों की है. इसका समापन श्रावण पूर्णिमा के दिन होगा. शिव भक्त पूरे साल अमरनाथ यात्रा का इंतजार करते हैं, ताकि वे पवित्र अमरनाथ गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शन कर सकें। बाबा अमरनाथ की यात्रा बहुत कठिन होती है, इसके लिए मौसम संबंधी कई चुनौतियों से गुजरना पड़ता है। कभी ठंड तो कभी बरसात का मौसम शिवभक्तों की कदम-कदम पर परीक्षा लेता है।
अमरनाथ यात्रा के लिए केवल 13 वर्ष से 74 वर्ष की आयु के लोग ही जा सकते हैं। अगर आप अमरनाथ यात्रा पर जा रहे हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। जी हां, आपको यात्रा पर जाने से कई दिन पहले ही तैयारी शुरू कर देनी चाहिए ताकि आपकी यात्रा बेहद आनंदमय हो सके. जिससे आपको सफर के दौरान थकान भी नहीं होगी और दर्शन का मजा भी आएगा.
Story Of Amarnath Shivling In Hindi – अमरनाथ गुफा की जानकारी
अमरनाथ शिवलिंग की कहानी:- शिवलिंग की कहानी भगवान शिव और माता पार्वती से जुड़ी है। खास बात यह है कि यह शिवलिंग प्राकृतिक रूप से बर्फ से निर्मित होता है। कहा जाता है कि इस गुफा में जगह-जगह से पानी की बूंदें टपकती रहती हैं, जिससे प्राकृतिक रूप से शिवलिंग का निर्माण होता है। यहां हर साल प्राकृतिक बर्फ से करीब 10 फीट ऊंचा शिवलिंग बनता है। जिसे हिमानी शिवलिंग भी कहा जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शिवलिंग का आकार चंद्रमा के आकार के घटने-बढ़ने के साथ घटता-बढ़ता है। आश्चर्य की बात है कि यहां बना हुआ शिवलिंग ठोस बर्फ से बना है, जबकि गुफा के अंदर की बर्फ कच्ची है जो छूते ही पिघल जाती है। आषाढ़ पूर्णिमा से रक्षाबंधन तक लाखों तीर्थयात्री यहां हिमलिंग दर्शन के लिए आते हैं।
Amarnath Temple History in Hindi – अमरनाथ गुफा का इतिहास
जम्मू-कश्मीर में ऊंचाई पर होने के कारण अमरनाथ मंदिर अक्सर बर्फ से ढका रहता है, इस मंदिर के चारों ओर बर्फ जमी रहती है, यही कारण है कि यह मंदिर साल में केवल एक बार सभी भक्तों के लिए खोला जाता है और अमरनाथ आने वाले भक्त यहां भगवान शिव लिंग के दर्शन करते हैं। दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए आते हैं।
अमरनाथ मंदिर से जुड़ा इतिहास या यूं कहें कि जम्मू-कश्मीर में आर्य राजा भगवान शंकर के बर्फ के बने शिवलिंग की पूजा करते थे। राज तरंगिणी ग्रंथ में इस शिवलिंग को अमरेश्वर यानि अमरनाथ कहा गया है। अमरनाथ मंदिर की गुफाओं की यात्रा प्रजा भट्ट ने शुरू की थी। जो अमरनाथ आए श्रद्धालुओं के लिए बहुत महत्व रखता है।
Amarnath Gufa Mistry – अमरनाथ गुफा का रहस्य
धार्मिक पौराणिक कथाओं के अनुसार गुफा में मौजूद दो कबूतरों की कहानी भगवान शिव और माता पार्वती से भी जुड़ी है। कहा जाता है कि एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से उनकी अमरता का रहस्य पूछा था। जिसे बताने के लिए भगवान शिव उन्हें इस गुफा में ले गए ताकि यह कथा कोई जीव-जंतु न सुन सके। क्योंकि जो भी इस कथा को सुनेगा वह अवश्य ही अमर हो जायेगा।
पुराणों के अनुसार भगवान शिव ने यहीं पर पार्वती को अपनी कठोर तपस्या की कथा सुनाई थी, जिसे अमरत्व कहा जाता है। कथा सुनते-सुनते पार्वती को नींद आ गई, लेकिन शिवजी को पता नहीं चला। वह अपनी कहानी बताते रहे, उस समय वहां दो कबूतर मौजूद थे, जो उनकी कथा सुन रहे थे और बीच-बीच में हू-हू की आवाज निकाल रहे थे, तभी शिवजी को लगा कि पार्वती कथा सुनते समय आवाज निकाल रही हैं। बाद में उन्होंने देखा तो पार्वती तो गहरी नींद में सो रही थीं, लेकिन उनकी कथा सुनकर दो कबूतर अमर हो गए।
इस बात पर भगवान शिव बहुत क्रोधित हुए और उन्हें मारने का विचार किया। तब कबूतरों ने भगवान शिव से कहा कि आप चाहें तो हमें मार डालें, लेकिन इससे आपकी अमरता की कहानी झूठी हो जाएगी। जिसके बाद भगवान शंकर ने उन्हें माफ कर दिया और वरदान दिया कि तुम माता पार्वती के प्रतीक के रूप में सदैव इस स्थान पर निवास करोगे। तभी से गुफा में दो कबूतरों की कहानी लोकप्रिय हो गई।
हालांकि लोगों के मन में सवाल है कि क्या ये कबूतर अब भी यहां नजर आते हैं. तो बता दें कि इस गुफा में आप कई कबूतरों का झुंड देख सकते हैं, लेकिन अमर कथा सुनने वाले कबूतर कौन से हैं, इसका अंदाजा लगाना नामुमकिन है।
यह कथा अब अमर कथा के नाम से जानी जाती है। कहा जाता है कि जब भगवान शिव माता पार्वती की कथा सुनने जा रहे थे तो उन्होंने छोटे-छोटे नागों को अनंत नाग में, जटाओं के चंदन को चंदनबाड़ी में, पिस्सू को पिस्सू टॉप पर और शेषनाग को शेषनाग पर छोड़ दिया। आज भी यह स्थान अमरनाथ यात्रा के दौरान रास्ते में आता है।
Who Discover Amarnath Cave In Hindi – अमरनाथ गुफा को सबसे पहले किसने देखा
इस गुफा को सबसे पहले एक मुस्लिम गड़रिये ने देखा था, आज भी अमरनाथ से प्राप्त चढ़ावे का एक हिस्सा उस मुस्लिम गड़रिये के परिवार को दिया जाता है। इस अमरनाथ गुफा के रास्ते में अगर अमरावती नदी के किनारे आगे बढ़ें तो कई अन्य गुफाएं दिखाई देती हैं, लेकिन वे सभी गुफाएं बर्फ से ढकी होती हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार अमरनाथ गुफा की खोज भृगु मुनि ने की थी। कहा जाता है कि बहुत समय पहले कश्मीर घाटी पानी में डूबी हुई थी. फिर इसे कश्यप मुनि द्वारा नदियों की एक श्रृंखला के माध्यम से पानी से बाहर निकाला गया। तब भृगु मुनि पहले व्यक्ति थे जिन्होंने अमरनाथ की गुफा का दौरा किया था।
आप अपनी अमरनाथ यात्रा को दो रास्तों से पूरा कर सकते है – बलताल से अमरनाथ और पहलगाम से अमरनाथ |
Amarnath Yatra Information in Hindi – अमरनाथ यात्रा की जानकारी
Things To Keep In Mind For Registration For Amarnath Yatra In Hindi – रजिस्ट्रेशन के लिए जरूरी बातें
अमरनाथ यात्रा के लिए पंजीकरण और यात्रा परमिट पहले आओ पहले पाओ के आधार पर उपलब्ध है। एक यात्रा परमिट के साथ केवल एक यात्री ही यात्रा कर सकता है। प्रत्येक पंजीकरण शाखा को यात्रियों के पंजीकरण के लिए एक निश्चित दिन और मार्ग आवंटित किया जाता है। पंजीकरण शाखा तय करती है कि यात्रियों की संख्या प्रति रूट कोटा से अधिक नहीं होनी चाहिए।
प्रत्येक यात्री को यात्रा के लिए यात्रा परमिट प्राप्त करने के साथ-साथ स्वास्थ्य प्रमाण पत्र जमा करना आवश्यक होगा। पंजीकरण और स्वास्थ्य प्रमाण पत्र के लिए फॉर्म एसएएसबी द्वारा ऑनलाइन उपलब्ध कराए जाते हैं। यात्रा परमिट के लिए आवेदन करते समय यात्रियों को स्वास्थ्य प्रमाण पत्र, चार पासपोर्ट साइज फोटो अपने साथ रखना जरूरी है.
2023 मे अमरनाथ यात्रा के रजिस्ट्रेशन कब से और कैसे होंगे? When and how will the registration for Amarnath Yatra be done in 2023?
अमरनाथ यात्रा के पंजीकरण 17 अप्रैल 2023 से शुरू हो चुके है। पंजीकरण करने के लिए आपको Shrine Board की इस वेबसाइट पर जाना होगा। लेकिन उससे पहले आपको इस यात्रा पर जाने के लिए Shrine Board के द्वारा दी गयी मेडिकल करने वाले हॉस्पिटल और डॉक्टर की लिस्ट जारी की है। जिनके द्वारा आपको सबसे पहले अपना मेडिकल टेस्ट करवाना होगा।
मेडिकल टेस्ट करने के बाद आपको जिस मेडिकल फॉर्म पर आपको डॉक्टर के हस्ताक्षर और स्टेंप लेने है वो फॉर्म आप यहाँ से Download कर सकते है। और अगर आपको अपना पंजीकरण ऑफ लाइन करवाना है तो Shrine Board ने Bank की लिस्ट जारी की जिनके द्वारा आप अपना पंजीकरण करवा सकते है। बैंक की लिस्ट आप DOWNLOAD यहाँ से कर सकते हैं। ऑफ लाइन पंजीकरण के लिए आप फॉर्म यह से Download कर सकते है।
आपको बता दें अमरनाथ यात्रा करने के लिए अमरनाथ श्राइन बोर्ड द्वारा कुछ नियम बनाये गये हैं, जिसके तहत 13 साल से 70 साल तक के लोग ही रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं.
- यदि आप बैंक ब्रांच से रजिस्ट्रेशन कराते हैं तो इसके लिए आपको 120 रूपये फीस लगेगी.
- ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना है तो इसके लिए आपको 220 रूपये लगेंगे.
- ग्रुप में कराने पर प्रति व्यक्ति 220 रूपये लगेंगे.
- यदि यात्री NRI है तो वह पंजाब नेशनल बैंक के माध्यम से 1520 में पर्सनल रजिस्ट्रेशन करा सकता है.
अमरनाथ यात्रा से पहले कराएं ये जरूरी मेडिकल टेस्ट – Get these important medical tests done before Amarnath Yatra
अमरनाथ यात्रा से पहले डॉक्टर कुछ जरूरी मेडिकल टेस्ट की सलाह देते हैं, ताकि यात्रियों को यात्रा के दौरान किसी परेशानी का सामना न करना पड़े। जिसमें रक्त विकार, जोड़ों का दर्द, उच्च रक्तचाप, अस्थमा, गर्भावस्था, मधुमेह, मिर्गी, नर्वस ब्रेकडाउन प्रमुख हैं। इसके अलावा यात्रियों को बताना होगा कि क्या वे धूम्रपान करते हैं। क्या उनके कान से स्राव हो रहा है. इसके अलावा अगर आपको कोई एलर्जी है तो आपको इसकी जांच करानी होगी।
Documents for Amarnath Yatra – अमरनाथ यात्रा के लिए आवश्यक दस्तावेज
- एसएएसबी (अमरनाथ श्राइन बोर्ड) द्वारा अधिकृत डॉक्टर से अपना मेडिकल फिटनेस प्रमाणपत्र ले जाएं, जिसमें कहा गया हो कि आप अमरनाथ यात्रा के लिए शारीरिक रूप से फिट हैं।
- यात्रा के दौरान आपको जरूरी दस्तावेजों की जरूरत पड़ेगी. अपनी पहचान के लिए वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट आदि ले जाएं।
Amarnath Yatra 2023 Dates – अमरनाथ यात्रा 2023 की तारीख
अमरनाथ यात्रा की तारीखें गुफा की देखभाल करने वाले अमरनाथ श्राइन बोर्ड (एसएएसबी) द्वारा तय की जाती हैं। 2023 में, यात्रा 1 जुलाई से 31 अगस्त (अस्थायी तारीख) तक शुरू होगी और अमरनाथ यात्रा के लिए यह सबसे अच्छा समय है।
How Can You Go For Amarnath Yatra In Hindi – अमरनाथ यात्रा के लिए कैसे पहुँचे।
Amarnath Yatra Latest Information in Hindi
अमरनाथ यात्रा की शुरुवात – Beginning of Amarnath Yatra
अमरनाथ यात्रा के लिए दो विकल्प हैं, पहला मार्ग पहलगाम से जाता है और दूसरा सोनमर्ग बालटाल से। पहलगाम अमरनाथ यात्रा का बेस कैंप है, जहां से तीर्थयात्री अमरनाथ गुफा के लिए अपनी यात्रा शुरू करते हैं। अगर आप सड़क मार्ग से जा रहे हैं तो पहले आपको जम्मू तक जाना होगा, फिर जम्मू से श्रीनगर तक का सफर तय करना होगा। यहां से आप पहलगाम या बालटाल में कहीं से भी अपनी यात्रा शुरू कर सकते हैं। यहां से अमरनाथ गुफा की दूरी लगभग 91 किमी से 92 किमी है। अगर आप बस से अमरनाथ पहुंचना चाहते हैं तो अमरनाथ के लिए दिल्ली से रागलूर बस सेवा 24 घंटे उपलब्ध है।
पहलगाम का रास्ता बालटाल से आसान है, इसलिए सरकार भी तीर्थयात्रियों को इसी रास्ते से जाने का सुझाव देती है। बता दें कि बालटाल रूट से अमरनाथ गुफा के बीच की दूरी सिर्फ 14 किलोमीटर है। लेकिन यह रास्ता काफी कठिन है क्योंकि यहां सीढ़ियां खड़ी हैं इसलिए इस रास्ते को चुनना थोड़ा मुश्किल साबित हो सकता है। वहीं अगर आप पहलगाम मार्ग से जाएं तो यहां से अमरनाथ गुफा तक पहुंचने में तीन दिन लगेंगे। यहां से गुफा की दूरी लगभग 48 -50 किमी है। लेकिन यह अमरनाथ यात्रा का बहुत पुराना मार्ग है और इस मार्ग से गुफा तक पहुंचना बहुत आसान है।
लेकिन 2023 की यात्रा के लिए बालटाल वाला छोटा रास्ता काफी डेवलप हो गया है। 16 km के रूट पर 11 km रोड बनने से राह आसान हो गई है हालांकि 5km राह अब भी संकरी है। बालटाल से शुरू के 800 मीटर डामर सड़क बन गई है। आगे की 2km डोमेल तक पेवर ब्लॉक की सड़क है। वहा से बराड़ी तक 8km कच्ची सड़क है। हालांकि इसे चौड़ा किया गया है। इससे आगे 5km ढलान के साथ खडी चढ़ाई है। गुफा तक सड़क का काम जारी है।
इस बार लंगर सिर्फ 8km तक ही मिलेंगे।
पहलगाम से अमरनाथ यात्रा – Pahalgam to Amarnath Yatra
पहलगाम जम्मू से 315 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यात्री बस, ट्रेन या सड़क मार्ग से जम्मू पहुँच सकते हैं और जम्मू से पहलगाम तक सरकारी पर्यटन बसें उपलब्ध हैं। पहलगाम ही एकमात्र ऐसा स्थान है जहां से तीर्थयात्री पैदल यात्रा शुरू करते हैं, अमरनाथ यात्रा में अन्य तीर्थ स्थानों के विपरीत यहां पैदल यात्रियों के लिए घोड़े, पालकी की सुविधा नहीं है, लेकिन वृद्ध लोगों के लिए फिर भी सुविधाएं हैं।
पहलगाम से यात्रा शुरू करने के बाद आठ किलोमीटर की दूरी पर पहला पड़ाव चंदनबाड़ी आता है, यही वह स्थान है जहां तीर्थयात्री अपनी पहली रात बिताते हैं, रात रुकने के लिए यहां शिविर लगाए जाते हैं।
Pissu Valley and Sheshnag Lake – पिस्सू घाटी एवं शेषनाग झील
चंदनबाड़ी में विश्राम करने के बाद दूसरे दिन तीर्थयात्री पिस्सू घाटी की चढ़ाई शुरू करते हैं, हालांकि इस चढ़ाई का पहला चरण ज्यादा कठिन नहीं था, लेकिन पिस्सू घाटी में दूसरा चरण शुरू होते ही जोखिम भरा रास्ता भी शुरू हो जाता है। कहा जाता है कि पिस्सुघाटी में देवताओं और राक्षसों के बीच युद्ध हुआ, जिसमें राक्षसों की हार हुई।
इस पिस्सू घाटी से गुजरने वाले यात्री 14 किमी पैदल चलकर शेषनाग पहुंचते हैं। यह शेषनाग पर नीले पानी की खूबसूरत झील है, इस झील को देखकर यात्रियों को बादल होने का भ्रम होता है, इसकी लंबाई लगभग 1.5 किलोमीटर है। कहा जाता है कि इस झील में आज भी शेषनाग रहते हैं और 24 घंटे में एक बार यह नाग बाहर आता है और भाग्यशाली लोगों को इसके दर्शन होते हैं। यह वह पड़ाव है जहां तीर्थयात्री अपनी अगली रात बिताते हैं।
Third Stop Panchtarni – तीसरा पड़ाव पंचतरणी
तीसरे दिन की यात्रा यहीं से शुरू होती है, लगभग 8 मील चलने के बाद पंचतरणी आती है, इस रास्ते में बीववेल टॉप और महागुणस दर्रा पार करना पड़ता है। महागुनास पहुंचने के बाद पूरा रास्ता उतरने का है, यहां 5 जलधाराएं बहती हैं, इसीलिए इसका नाम पंचतरणी पड़ा। यहां का मौसम अपेक्षाकृत ठंडा है और यहां यात्रियों को ऑक्सीजन की कमी महसूस होती है।
Amarnath Cave – अमरनाथ गुफा
यहां से अमरनाथ गुफा सिर्फ 8 किलोमीटर दूर है, लेकिन आगे पूरे रास्ते में बर्फ जमी रहती है। यहां से यात्रा शुरू करने के बाद यात्री अगले दिन अमरनाथ गुफा पहुंचता है। हालाँकि यह यात्रा बहुत कठिन है, लेकिन भगवान शिव के दर्शन करने के बाद सारी थकान दूर हो जाती है। और दर्शन के बाद यात्री अपनी वापसी यात्रा शुरू करते हैं, वापसी के पहले दिन यात्री शेषनाग तक की यात्रा कर सकते हैं। ऐसे में यात्री अपनी यात्रा आसानी से पूरी कर पा रहे हैं.
अमरनाथ की गुफाएँ 13,500 फीट की ऊँचाई पर हैं जहाँ मौसम बहुत ही कठोर होता है | हवा का दबाव कम है और आप तेज़ यू.वी. विकिरणों के संपर्क में रहते हैं। इसलिए, आपको जी मचलना, सिरदर्द, उल्टी और सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्याएं महसूस हो सकती हैं।
अमरनाथ यात्रा में क्या लेकर जाना जरुरी है?
- रेनकोट
- हवा वाली जैकेट
- सनस्क्रीन एवं कीड़े से बचने वाली क्रीम
- स्टील की पानी की बोतल
- चॉकलेट
- ट्रैकिंग करने के लिए लाठी
- फर्स्ट ऐड किट और जरुरी दवाएं
- बैटरी टॉर्च
- सैनीटाइज़र
अमरनाथ यात्रा मे कितना खर्चा होने वाला है।
मैं आपको जम्मू के बाद इस यात्रा पर होने वाले खर्च के बारे में बताने जा रहा हूं। यह 5000 से 6000 हजार तक होने वाली है. आपका सारा खर्च भगवती कैंप से पालगांव और वापस बालटाल से जम्मू तक टेंट में रहने और बस टिकट का खर्च होगा।
टोल फ्री नंबर
अमरनाथ यात्रा में रजिस्ट्रेशन करने या फिर इसके बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए आप टोल फ्री नंबर पर कॉल भी कर सकते हैं. इसका टोल फ्री नंबर 180018007198 या 180018007199 है.
Remember these things while doing Amarnath Yatra – अमरनाथ यात्रा करते समय इन बातों को याद रखें
- यात्रा पर निकलने से पहले इस बात का ध्यान रखें कि आप यात्रा को कितना सहज और आसान बना सकते हैं। क्योंकि इस सफर को पूरा करना हर किसी के बस की बात नहीं है.
- 13 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और 75 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को यात्रा की अनुमति नहीं है। छह महीने से अधिक समय से गर्भवती महिलाओं का भी इस यात्रा पर जाना वर्जित है।
- वैसे आपको सफर के लिए खाने-पीने की कुछ चीजें अपने साथ रखनी चाहिए। लेकिन फिर भी यहां यात्रियों के लिए लंगर की व्यवस्था है, जहां खाना मुफ्त मिलता है।
- यहां का मौसम बहुत ठंडा है. ऐसे में अपने सामान के साथ गर्म कपड़े पूरी बांह की स्वेटशर्ट, स्वेटर, विंड स्टॉपर, रेनकोट, मंकी कैप, गर्म मोजे और टॉर्च पैक कर लें। पैरों में चप्पल पहनना सबसे अच्छा विकल्प है, इससे आपकी लंबी यात्रा सुगम हो जाएगी।
- यात्रियों को यात्रा के दौरान वॉटरप्रूफ जूते पहनने की सलाह दी गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि ये जूते प्लास्टिक और रबर से बने होते हैं। जिसे बर्फ और पानी में पहनकर चलना बहुत आसान है।
- 2014 से अमरनाथ यात्रियों के लिए मेडिकल जांच कराना अनिवार्य कर दिया गया है। बिना मेडिकल सर्टिफिकेट दिए आप यात्रा का हिस्सा नहीं बन सकते. यहां तक कि हेलीकॉप्टर की सवारी के लिए भी आपको स्वास्थ्य प्रमाणपत्र दिखाना होगा. ध्यान रखें कि यह मेडिकल सर्टिफिकेट अमरनाथ श्राइन बोर्ड के डॉक्टरों द्वारा निर्धारित होना चाहिए।
- गुफा के अंदर किसी भी प्रकार की फोटोग्राफी वर्जित है। ऐसा करने पर जुर्माना भरना पड़ेगा. इसलिए अमरनाथ यात्रा के लिए हर साल भारतीय सेना द्वारा जारी की जाने वाली गाइडलाइंस को जरूर पढ़ें।
- अपने साथ लिप क्रीम, कोल्ड क्रीम, टॉर्च, टॉयलेट पेपर, पानी की बोतल, प्राथमिक चिकित्सा किट, ट्रैकिंग स्टिक ले जाएं।
- यात्रा से पहले अपने साथ आईडी प्रूफ, ड्राइविंग लाइसेंस और ट्रैवल परमिट जरूर रखें।
- प्री-पेड सिम कार्ड अन्य राज्यों में काम नहीं करते हैं, इसलिए यात्री बालटाल और नुनवान बेस कैंप से सक्रिय सिम कार्ड खरीद सकते हैं।
- महिलाओं को साड़ी की जगह सलवार-सूट, पैंट शर्ट या ट्रैक सूट पहनने की सलाह दी जाती है।
- कभी भी खाली पेट यात्रा न करें। अगर आप ऐसा करते हैं तो आप किसी गंभीर समस्या का शिकार हो सकते हैं।
- पॉलिथीन सामग्री से बनी कोई भी वस्तु अपने साथ न लाएँ। जम्मू-कश्मीर के कानून के तहत यहां इनका इस्तेमाल प्रतिबंधित है।
- गुफा के अंदर सिक्के, चुनरी, तांबे के बर्तन ले जाना वर्जित है।
Amarnath Temple Facts in Hindi – अमरनाथ मंदिर का महत्त्व और इससे जुड़े रोचक तथ्य
- भक्तों का मानना है कि अमरनाथ मंदिर में भगवान शिव के शिवलिंग के दर्शन करने से मृत्यु का भय नहीं रहता है। कहा जाता है कि मृत्यु के भय से बचने के लिए देवताओं ने इस शिवलिंग की स्थापना की थी।
- अमरनाथ में हर साल बर्फ की बारिश से शिवलिंग बनता है। आश्चर्य की बात यह है कि इसमें कोई मानवीय प्रयास नहीं किया गया है, बल्कि यह प्राकृतिक रूप से बना है, लोग इसे भगवान शिव का चमत्कार मानते हैं। इस मंदिर में भगवान शिव के प्राकृतिक लिंग के अलावा और भी कई आकृतियां बनी हुई हैं जो कई देवी-देवताओं से मिलती हैं।
- अमरनाथ मंदिर में न केवल भगवान शिव का शिवलिंग है, बल्कि इसे 51 शक्तिपीठों में से एक प्रमुख शक्तिपीठ भी माना जाता है।
- लोगों का मानना है कि अमरनाथ के दर्शन से संगम प्रयाग के अपमान से सौ गुना अधिक पुण्य मिलता है और अकाल मृत्यु जैसे मित्रों से भी मुक्ति मिल जाती है साथ ही उनके दर्शन करते ही लोगों के मन से मृत्यु का भय भी दूर हो जाता है।
Amarnath Shivling Photos
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